अजीम प्रेमजी ने अरबपति बनने के लिए क्या किया? जानिए उनकी सफलता के पांच बड़े कारण, जो वे हर दिन करोड़ों रुपये दान करते हैं:
Azim Premji : देश की दिग्गज आईटी कंपनियों में शुमार विप्रो के फाउंडर अजीम प्रेमजी आज 78 साल के हो गए हैं। अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था। एडलगिव हुरुन इंडिया फिलैन्थ्रॉपी लिस्ट 2022 के मुताबिक अजीम प्रेमजी ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 484 करोड़ रुपए का दान दिया। आज उनकी कंपनी देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। उन्होंने सिर्फ पैसा ही नहीं कमाया, बल्कि दिल खोलकर दान भी किया है।
अमीर प्रेमजी के दादा चावल बेचते थे। उनके पिता मोहम्मद हुसैन प्रेमजी ने भी पिता की नौकरी की। चावल कारोबार बहुत लाभदायक नहीं था। नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा था। पिता की मौत के बाद उन्होंने कई और व्यवसायों में हाथ अजमाया। कम्पनी का नाम 1977 में विप्रो (Wipro) कर दिया गया था। विप्रो आज देश की तीसरी सबसे बड़ी IT कंपनी है।TAZANEWS
जीत पर ध्यान:
Azim Premji –सफलता हासिल करने के लिए पॉजीटिव सोचना भी आवश्यक है। जैम प्रेमजी कहते हैं कि सफलता दो बार आती है। एक बार आपके मन में और दूसरी बार वास्तविक दुनिया में। वह विद्यार्थियों की शिक्षा पर बहुत ध्यान देते हैं। उसने कहा कि देश को आगे बढ़ाने का एकमात्र उपाय शिक्षा है।
Azim Premji प्रेमजी कहते हैं कि सफल होना है तो अपने से ज्यादा सफल लोगों के साथ रहें। उनका कहना है कि अपने से अधिक लोगों के साथ काम करने से आत्मविश्वास बढता है। यही साहस लीडरशिप है।
जीवन में सफल होने के लिए हर किसी की बात सुनना जरूरी नहीं है। अजीम प्रेमजी के मुताबिक, अगर लोग आपके लक्ष्य पर हंस नहीं रहे हैं तो आपके गोल्स अभी काफी छोटे हैं। आगे बढ़ने के लिए अपने ऊपर विश्वास होना काफी जरूरी है।
प्रिय प्रेमी: भारतीय उद्यमी और समाजसेवी
Azim Premji –भारतीय उद्योग और परोपकार क्षेत्र में अजीम प्रेमजी का नाम विशेष सम्मान से लिया जाता है। 24 जुलाई 1945 को भारत में जन्मे थे। वे विप्रो लिमिटेड के प्रमुख शेयरधारक और पूर्व अध्यक्ष हैं, जो एक छोटे वनस्पति तेल व्यवसाय से एक बड़ी आईटी सेवा कंपनी में बदल गई।
अजीम प्रेमजी का परिवार व्यापारी था। उनके पिता, मोहम्मद हाशिम प्रेमजी, ने “वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स” का मालिक था, जो वनस्पति तेल और साबुन बनाती थी। अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से अजीम प्रेमजी ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली। पिता की अचानक मृत्यु के बाद, 21 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर पारिवारिक व्यवसाय चलाया।
विप्रो की शुरुआत :
विप्रो ने 1966 में अजीम प्रेमजी की अगुवाई में सिर्फ वनस्पति तेल बनाने वाली कंपनी बन गई। उन्होंने इसे नई ऊंचाइयों पर उठाया और IT सेवाओं, सॉफ्टवेयर विकास और कंसल्टिंग में प्रवेश किया। प्रेमजी ने 1980 के दशक में भारत में कंप्यूटर और आईटी का दौर शुरू होने को एक अवसर समझा। विप्रो को उन्होंने आईटी और तकनीकी सेवा कंपनी में बदलकर भारतीय आईटी उद्योग में एक अग्रणी कंपनी बनाया।
अजीम प्रेमजी का योगदान :
Azim Premji –अमीर प्रेमजी न केवल एक सफल उद्योगपति हैं, बल्कि एक अद्भुत धार्मिक व्यक्ति भी हैं। सामाजिक सुधार और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की। वे दुनिया के सबसे बड़े दानदाताओं में शामिल हो गए क्योंकि उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया। लाखों बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में उनकी संस्था ने विशेष रूप से ग्रामीण शिक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर ध्यान दिया है।
विरासत और सम्मान:
Azim Premji – योगदान के लिए अजीम प्रेमजी को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उनके पास पद्म भूषण (2005) और पद्म विभूषण (2011) हैं। वे भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज कल्याण का प्रतीक हैं। उनकी विचारधारा, नेतृत्व क्षमता और समाज की सेवा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा होगी।
उनकी उदारता, दूरदृष्टि और संघर्ष का जीवन अद्भुत उदाहरण है। वे न सिर्फ एक सफल व्यवसायी हैं, बल्कि समाज को भी बहुत कुछ देते हैं।
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